इन विनाश न पहली कबि देखी अर न सुणीं

राउलेंक। जीवन क चार बीसी अर पांच दिख्येली पर इन विनाश न पहली कबि देखी अर न सुणीं। भोले महादेव न रुद्र रुप किलै धरी होलू (जीवन के 85 वर्ष देख लिए, लेकिन ऐसा विनाश न तो कभी पहले देखा और न सुना। भोले महादेव ने रौद्र रूप क्यों धारण किया होगा।)। राउलेंक गांव में पहुंचते ही गांव की बुजुर्ग महिला कुब्जा देवी ने यह सवाल किया।
ऊखीमठ-उनियाणा-रांसी मोटर मार्ग के जुगासू पुल के समीप क्षतिग्रस्त होने से मद्महेश्वर घाटी के राउलेंक, उनियाणा, रांसी और गौंडार गांवों के लोगों की जिंदगी मुश्किल हो गई है। लोग पैदल तीन से 10 किमी पैदल चलकर राहत सामग्री ला रहे हैं। मधुगंगा ने निर्माणाधीन मद्महेश्वर जल विद्युत परियोजना को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसकी गवाही रेत और पत्थरों के बीच दबी पोकलेंड मशीन दे रही है। सुरंग स्थल भी दबा है। राउलेंक में एक क्रशर का कुछ हिस्सा बचा हुआ है।
राउलेंक पहुंचते ही लोग घेर लेते हैं। प्रभावितों की समस्या सुनने पहुंचे कृषि मंत्री डा. हरक सिंह रावत, क्षेत्रीय विधायक शैला रानी रावत से लोग कहते हैं कि हम तो तीन किमी पैदल चलकर सामान ढो रहे हैं, लेकिन ज्यादा समस्या रांसी और गौंडार के ग्रामीणों को हो रही है। उनको रोड हेड दूर पड़ रहा है।
बच्ची देई बताती हैं कि राहत सामग्री तो खूब मिल रही है। हमें उजाला चाहिए। बिना बिजली के रात को डर लग रहा है। सोलर लालटेन मिल जाती, तो अच्छा होता। महिपाल सिंह, प्रेम सिंह और कमलेंद्र सिंह कहते हैं कि यदि बिजली हो, तो मोबाइल फोन भी काम करें।
गांव के शिव सिंह ने बताया कि उसका छोटा भाई प्रह्लाद (15) हादसे के दिन केदारनाथ में ही था। हादसे से बचकर वह घर तो आ गया, लेकिन इस घटना ने उसके दिमाग को इतना हिला दिया है कि वह कभी नदी की ओर कूदने के लिए भागने लगता है, तो कभी चिल्लाने लगता है। उन्होंने मंत्री से प्रह्लाद को मनोचिकित्सक को दिखाने के लिए चॉपर से देहरादून भेजने की गुहार लगाई है।

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